जो बड़ेन को लघु कहे, नहिं रहीम घटि जाँहि।
गिरिधर मुरलीधर कहे, कछु दुख मानत नाँहि॥
रहीम
बड़ों को छोटा कह देने से उनकी महानता कम नहीं हो जाती। जैसे पर्वत धारण करनेवाले भगवान् श्रीकृष्ण को ‘मुरलीधर’ कहने से उनकी प्रतिष्ठा कम नहीं होती। अर्थात् किसी की छोटी सी बात को गाँठ में बाँधकर मन-मुटाव नहीं करना चाहिए।
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