Tuesday, 24 October 2017

जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह





जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।
रहिमन मछरी नीर को, तऊ छाँड़ति छोह॥
रहीम
जैसे ही जाल डाला जाता है, मछलियों का मोह छोड़कर जल बाहर निकल जाता है, लेकिन इस प्रकार ठुकराए जाने पर मछलियाँ जल का मोह नहीं छोड़ पातीं और उसके वियोग में प्राण त्याग देती हैं। प्रेमिकाएँ अपने प्रेमी के प्रति समर्पित होती हैं। वे उनके शुष्क व्यवहार को अनदेखा करके उनके वियोग में जीवन का मोह भी त्याग देती हैं।




प्रेम का दूसरा नाम समर्पण है

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