जेहि अंचल दीपक दुर्यो, हन्यो सो ताही गात।
रहिमन असमय के परे, मित्र शत्रु ह्वै जात॥
रहीम
दीपक को बुझने से बचाने के लिए घर की स्त्री आँचल की ओट करके उसे घर में रख देती है और सोते समय उसी आँचल से उसे बुझा देती है। रहीम कहते हैं, समय-समय की बात है, असमय पर तो मित्र भी शत्रु बन जाते हैं।
समय बड़ा बलवान है। असमय पर मित्र भी शत्रु बन सकते हैं। धीरज रखें, समय बदलता ज़रूर है।
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