जब लगि विपुन न आपनु, तब लगि मित्त न कोय।
रहिमन अंबुज अंबु बिन, रवि ताकर रिपु होय॥
रहीम
जब तक आप धनवान् नहीं होते, कोई आपका मित्र नहीं होता। धन आते ही मित्र बन जाते हैं और धन के जाते ही मित्र भी शत्रु बन जाते हैं। जैसे सूरज की रोशनी में कमल खिलता है, लेकिन जलाशय का पानी घटने पर वही अपनी तेजी से उसे सुखा देता है।
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