Sunday, 15 October 2017

कबीर हरिरस बरसिया, गिरि परवत सिखराय




कबीर हरिरस बरसिया, गिरि परवत सिखराय।
नीर निवानू ठाहरै, ना वह छापर डाय॥
कबीर
कबीर कहते हैं कि वर्षा सभी स्थानों पर समान रूप से होती है, लेकिन पानी ऊँचे-नीचे खाली स्थानों पर ही एकत्र होता है; वैसे ही ज्ञान भी निर्मल व रिक्त हृदय में ही ठहरता है।



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