धर्म किए धन ना घटै, नदी न घट्टै नीर।
अपनी आँखों देखि ले, यों कथि कहहिं कबीर॥
कबीर
दान-धर्म करने से धन नहीं घटता, जैसे नदी निरंतर बहती रहती है, लेकिन उसका पानी खत्म नहीं होता। कबीर कहते हैं, यदि आपको भरोसा न हो तो दान-धर्म करके देख लें।
यथास्थिति एवं यथाशक्ति दान-धर्म कीजिये। धन घटने की बजाये बढेगा। आज़मा के देखिए।
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