Tuesday, 10 October 2017

सहकामी सुमिरन करै, पावै उत्तम धाम



सहकामी सुमिरन करै, पावै उत्तम धाम।
निहकामी सुमिरन करै, पावै अविचल राम॥
कबीर
जो फल की इच्छा से प्रभु-स्मरण करते हैं, उन्हें उत्तम फल प्राप्त होते हैं और जो निष्काम भाव से सुमिरन करते हैं, उन्हें आत्म-साक्षात्कार होता है और अपने प्रभु के दर्शन होते हैं।


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