Monday, 6 November 2017

जो रहीम मन हाथ है, तो तन कहुँ किन जाहिं





जो रहीम मन हाथ है, तो तन कहुँ किन जाहिं।
ज्यों जल में छाया परे, काया भीजत नाहिं॥
रहीम
जिसका अपने मन पर नियंत्रण है, उसका शरीर कहीं नहीं भटक सकता, चाहे वह बड़ी-से-बड़ी बुराइयों के बीच पहुँच जाए। जैसे जल में परछाईं पड़ने से शरीर नहीं भीगता। अर्थात् मन को साधने से शरीर स्वतः सध जाता है।

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