Friday, 17 November 2017

देनहार कोउ और है, भेजत सो दिन रैन






देनहार कोउ और है, भेजत सो दिन रैन।
लोग भरम हमपै धरैं, याते नीचे नैन॥
रहीम

दान देनेवाला तो कोई और है, जो दिन-रात मुझे कुछ--कुछ देता रहता है, जिससे कि मैं दान-धर्म सुचारु रूप से करता रहूँ। लेकिन लोग इस भ्रम में पड़े रहते हैं कि दान देनेवाला मैं हूँ, इसलिए दान देते समय मैं अपने नेत्र नीचे रखता हूँ।


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