Thursday 12 October 2017

चरन छुए मस्तक छुए, तेहु नहिं छाँड़ति पानि



चरन छुए मस्तक छुए, तेहु नहिं छाँड़ति पानि।
हियो छुवत प्रभु छोड़ दै, कहु रहीम का जानि॥
रहीम

प्रभु का भजन-पूजन, व्रत-उपासना, यज्ञ-हवन सब किए, लेकिन मोह-माया ने पीछा नहीं छोड़ा। लेकिन प्रभु को हृदय में बसाते ही सारे विकार दूर हो गए और तन-मन निर्मलता से भर गए। अर्थात् हृदय से भजने पर ही प्रभु प्राप्त होते हैं।

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