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Wednesday, 21 December 2016

'विज्ञान से ध्यान की ओर' - भाग ८



'विज्ञान से ध्यान की ओर' - भाग ८
चक्र ध्यान
ऊर्जा के सात चक्रों का विस्तृत वर्णन
चक्रों को जागृत करने के लिए विशेष ध्यान की विधि 

‘विज्ञान से ध्यान की ओर’ - भाग ७




‘विज्ञान से ध्यान की ओर’ - भाग ७ 
                   ध्यान - मन से मन का विश्लेषण 
                   विचारों के प्रवाह को कैसे रोकें?

Monday, 19 December 2016

‘विज्ञान से ध्यान की ओर’ - भाग ६


‘विज्ञान से ध्यान की ओर’ - भाग ६
ध्यान से विचारों का नियंत्रण कैसे करें
विस्तार में विवरण 

‘विज्ञान से ध्यान की ओर’ - भाग ५


‘विज्ञान से ध्यान की ओर’ भाग ५
ध्यान से विचार प्रबंधन
अपनी सोच को नियंत्रित कैसे करें
अच्छे और प्रभावशाली व्यक्तित्व का निर्माण कैसे करें

Sunday, 18 December 2016

‘विज्ञान से ध्यान की ओर’ भाग ४


‘विज्ञान से ध्यान की ओर’ भाग ४
कम्प्यूटर की भाषा और सिद्धांतों से जीवन के विभिन्न पहलुओं का रोचक विश्लेषण

'विज्ञान से ध्यान की ओर' भाग ३


‘विज्ञान से ध्यान की ओर’ भाग ३
मन, चेतना और शरीर का पारस्परिक सम्बंध
विचार प्रणाली का संक्षिप्त एवं सरल विवरण
मनोविज्ञान के मुख्य सिद्धांतों का विश्लेषण

Saturday, 17 December 2016

विज्ञानं से ध्यान की ओर भाग 2


अवश्य देखने योग्य लखनऊ दूरदर्शन का एक बेहतरीन धारावाहिक  

विज्ञानं से ध्यान की ओर भाग 1


लखनऊ दूरदर्शन का एक बेहतरीन धारावाहिक

What is universe; what is god particle; how plasma is related to universe; do universe have any relation with human body and mind, watch all this in Vigyan se dhyan ki or Episode 1.

Wednesday, 7 December 2016

ध्यान की एक सरल विधि


ध्यान की एक सरल विधि

पंडित विजयशंकर मेहता


ध्यान के दो अर्थ हैं। पहला, हम होशपूर्वक जो भी काम करेंगे वह हमें ध्यान के निकट ही ले जाएगा। दूसरी बात है -ध्यान यानी अकेले होने का आनंद। पुन : समझ लें ध्यान का सबसे अधिक गहरा संबंध सांस से है। मन की जितनी भी दशाएं हैं वह सांस से जुड़ी हुई हैं।


यहाँ चार चरण की एक सरल विधि दी जा रही है।


पहला चरण -होश जगाएँ ( अवेयरनेस ) कमर सीधी करके सुखासन से बैठ जाएं। गहरी सांस लें और छोड़ें। अपनी सारी चेतना सांस पर टिकाएं और देखें सांस भीतर आ रही है, बाहर जा रही है। सांस के साथ स्वयं भी भीतर आएं, स्वयं बाहर जाएं। विचार आ रहे हैं या नहीं आ रहे हैं इसकी चिंता लेकर न बैठें। बीच-बीच में विचार आएंगे आने दीजिए। सारा ध्यान भीतर आती सांस के साथ स्वयं को आने में और बाहर जाती सांस के साथ स्वयं को जाने में लगाएं। विचार शून्य सांस लें। जितना हम सांस के प्रति जाग्रत हो जाएंगे उतना हमारा होश जागेगा ।


दूसरा चरण -सहमत हो जाएं ध्यान के समय जब हम सांस ले रहे हैं और छोड़ रहे हों, अनेक बाहरी गतिविधियां हमें सुनाई देंगी। कहीं बर्तन गिरा, गाड़ी का हार्न बजा, पक्षी की आवाज़ आदि। इन्हें बाधा न मानें। हर आवाज़ को ध्यान की सीढ़ी बना लें। धीरे -धीरे आपके भीतर एक भावदशा जागेगी। बाहर के हर व्यवधान को इस भावदशा में सहायक बना लें। कुल मिलाकर हर बात से राजी हो जाएं। इस बीच ध्यान की प्रक्रिया का पहला चरण जारी रहेगा। सांस लेना, सांस छोड़ना और उसके साथ स्वयं की चेतना बाहर जाएगी, भीतर आएगी। अब दोनों चरण एकसाथ होंगे।


तीसरा चरण -मैंगिरा दें लगातार पहली दो क्रियाएं करते रहें। अब इसमें यह तीसरी भावदशा जुड़ेगी। अपनेमैंहोने को धीरे -धीरे समाप्त करना है। मैं सांस ले रहा हूं, यह बोध तब समाप्त होने लगेगा। थोड़ी देर के लिए भूल जाएं कि आप कौन हैं। अपना नाम, पहचान, रिश्ते सब विस्मृत करे दें, सिर्फ़ परमात्मा के अंश बन जाएं। अब तीनों चरण एक साथ करें। करते रहें 3 से 5 मिनट या अपनी सुविधानुसार समय बढ़ा लें।


चौथा चरण -साक्षी हो जाएं जैसे -जैसे यह तीन क्रियाएं करते जाएंगे, वैसे -वैसे शरीर और आत्मा का गेप बढ़ता जाएगा। क्योंकि इन दोनों को सांस ने जोड़ रखा है। सांस इन दोनों के बीच का ब्रिज है। अधिक सांस ली अधिक गेप हुआ और आप अधिक परमात्मा के निकट हुए। स्वयं के साक्षी हो जाएं। स्वंय को यहाँ देखना सीख गए तो 24 घंटे संसार में काम करते हुए स्वंय को देखने लगेंगे। यह चेतना से जुड़ा अलगाव ( कान्शन्स अटैच्ड डिटैच्मेंट ) है। अपने ही भीतर से निकल कर अपने आप को देखें। अब चारों चरण एकसाथ करिए यहीं से ध्यान घटना शुरु होगा।




24 घंटों में कम से कम 10 -15 मिनट इस चरण को दें। ध्यान की कुछ सरलतम विधियाँ हैं, उन्हें अपना लें। कुछ विधियाँ तो कार्यालय में बैठकर भी की जा सकती हैं और कार में यात्रा करते हुए भी।


लेखक: पंडित विजयशंकर मेहता


आप यह प्रेरणादायक पुस्तक Amazon.in से खरीद सकते हैं। 


Saturday, 26 November 2016

संदीप महेश्वरी से सीखें ध्यान


संदीप महेश्वरी से सीखें ध्यान की आधुनिक विधि जो युवाओं के लिए बड़ी रोचक है। 

ध्यान - ब्रह्माकुमारी शिवानी


ब्रह्माकुमारी शिवानी ध्यान सिखाते हुए

ध्यान योग - बाबा रामदेव


बाबा रामदेव ध्यान योग सिखाते हुए

ध्यान




ध्यान क्या है और कैसे किया जाना चाहिये? इस विषय में विभिन्न विशेषज्ञों में भारी मतभेद है। ऐसी स्थिति में एक नए जिज्ञासु को क्या करना चाहिए? उसे अपनी रुचि के अनुसार किसी भी पद्धति से शुरुआत कर देनी चाहिए। जैसे जैसे उसका अपना अनुभव बढ़ेगा उसे आभास होने लगेगा कि क्या करने से ज़्यादा लाभ हो रहा है। कोई भी पद्धति ऐसी नहीं है जो सबके लिए एक समान अनुकूल हो।

ध्यान एक कौशल है हो करने से आता है, मात्र चिंतन मनन से नहीं। यदि कोई व्यक्ति हमें कोई नयी विधि सिखाता है तो हमें न तो विश्वास करना चाहिए और न अविश्वास। हमें खुले मन से प्रयोग करना चाहिए। अगर कुछ लाभ मिले तो अपना लीजिए नहीं तो छोड़ दीजिए। अगर आपको लाभ नहीं हुआ तो भी उस विधि की आलोचना करने में अपना समय नष्ट न करें। हो सकता है वो विधि अन्य व्यक्तियों के लिए अनुकूल हो।

अगर हम इस मार्ग पर चलें तो हम सबसे कुछ न कुछ सीख सकते है। हमें किसी व्यक्ति विशेष से स्थायी रूप से नहीं जुड़ना चाहिए चाहे वो कितना भी महान क्यों न हो। आत्मनिर्भरबनें रहने के लिए हमें उचित दूरी बनाए रखनी चाहिए। पूर्वाग्रहोंसे बचने के लिए हमें अन्य विचारकों का अध्ययन करना चाहिए ख़ासकर उनका जिनके विचार हमारे विचारों से मौलिक रूप से भिन्न हो। इससे हमारा दिमाग़ और खुलेगा। हम नयी गहराइयों को छू पाएँगे।

अगर आप किसी व्यक्ति के विचारों से अत्यधिक प्रभावित हैं तो भी उनके किसी विचार से असहमत होने का हक़ और साहस हमें हमेशा होना चाहिए। ऐसा मुमकिन नहीं कि हम किसी से शत प्रतिशत सहमत हों। ऐसा तभी हो सकता है जब हमने स्वयं विचार करना ही बंद कर दिया हो। वरना हर व्यक्ति निराला है जो अपनी अनूठी दृष्टि से दुनिया को देखता है।

इस ब्लॉग में हम विभिन्न शैली के विडीओ साँझा करेंगे। आपको जो विधि पसंद आए आप उसे अपना लीजिए। अपने अनुभव अवश्य साँझा करें ताकि अन्य साधक भी लाभ उठा सकें। अगर आपके मन में कोई शंका है तो आप पूछ सकते है। हम यथाशक्ति शंका निवारण का प्रयास करेंगे।

धृति शांडिल्य

Mudita - An Alternative to Envy

Mudita When we are scrolling through Facebook or Instagram we often feel envy looking at other people’s success or golden mome...