Friday 25 August 2017

कबीर सोई पीर है, जो जानै पर पीर



कबीर सोई पीर है, जो जानै पर पीर।
जो पर पीर न जानई, सो काफिर बेपीर॥
कबीर
कबीर कहते हैं, वही पुरुष उत्तम पुरुष (पीर) है, जो दूसरों की पीड़ा (पर-पीर) को ज्ञात और अनुभव कर सकता हो। लेकिन जो दूसरों की पीड़ा को नहीं समझ सकता, वह तो निरा दुष्ट और जालिम (काफिर-बेपीर) है।

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