माटी कहै कुम्हार सो, क्या तू रौंदे मोहि।
एक दिन ऐसा होयगा, मैं रौंदूँगी तोहि॥
कबीर
माटी कुम्हार से कहती है, तू जीवन भर मुझे
रौंदता रहता है लेकिन एक दिन मेरा भी आएगा जब मैं तुझे रौंदूँगी और वह तेरा अंतिम
दिन होगा। अर्थात् सभी से सज्जनता से पेश आना चाहिए, क्योंकि वक्त का
कोई भरोसा नहीं है।
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