Thursday 23 November 2017

दोनों रहिमन एक से, जौ लों बोलत नाहिं





दोनों रहिमन एक से, जौ लों बोलत नाहिं।
जान परत है काक पिक, ऋतु बसंत के भाँहि॥
रहीम

कौआ और कोयल रंग-रूप में एक समान होते हैं। उनमें भेद करना बहुत कठिन है। लेकिन वसंत ऋतु में जब कौआ काँव-काँव करता है और कोयल कूकती है तो सारा भेद खुल जाता है। अर्थात् बाहरी रूप-रंग धोखा दे सकता है, लेकिन भीतर से निकली आवाज निर्मल होती है।


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