Monday, 17 July 2017

जो है जाका भावता, जब-तब मिलिहैं आय



जो है जाका भावता, जब-तब मिलिहैं आय।
तन-मन ताको सौंपिए, जो कबहुँ न छाँडि़ जाय॥
कबीर

जो जिसको पसंद करता है, वह समय-समय पर आकर उससे मिलता रहता है, लेकिन अपना तन और मन उसको अर्पित करना चाहिए; जो सदा आपके पास रहे, आपको कभी न छोड़े।

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