Monday, 3 July 2017

दीपक सुंदर देख करि, जरि-जरि मरे पतंग





दीपक सुंदर देख करि, जरि-जरि मरे पतंग।
बढ़ी लहर जो विषय की, जरत न मोरै अंग॥
कबीर
दीपक की सुनहरी-लहराती लौ की ओर आकर्षित होकर कीट-पतंगे उसमें जल मरते हैं। इसी प्रकार कामी लोग भी विषय-वासना की तेज लहर में बहकर यह तक भूल जाते हैं कि वे डूब मरेंगे।

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