Tuesday, 4 July 2017

गोता मारा सिंधु में, मोती लाए पैठि



गोता मारा सिंधु में, मोती लाए पैठि।
वह क्या मोती पाएँगे, रहे किनारे बैठि॥
कबीर

जो सागर में गोता लगाने का साहस रखता है, वही मोती पा सकता है। किनारे पर बैठा रहनेवाला कभी मोती नहीं पा सकता। अर्थात् प्रेम का सागर बहुत गहरा और अबूझ होता है। साहसी ही इसमें कूद लगा सकते हैं और प्रेम रूपी मोती पा सकते हैं।

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