Friday, 5 January 2018

अनेकशास्त्रं बहुवेदितव्यम्, अल्पश्च कालो बहवश्च विघ्ना:







अनेकशास्त्रं बहुवेदितव्यम्अल्पश्च कालो बहवश्च विघ्ना: 

यत् सारभूतं तदुपासितव्यंहंसो यथा क्षीरमिवाम्भुमध्यात्॥

अनेक शास्त्र हैं, बहुत जानने को है और समय कम है और बहुत 

विघ्न हैं। अतः जो सारभूत है उसका ही सेवन करना चाहिए जैसे

हंस जल और दूध में से दूध को ग्रहण कर लेता है॥




There are many scriptures, lot to know but time is limited 

and there are many obstacles. So we should practice 

the essence as a swan extracts only milk from 

the combination of milk and water.

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