न प्रहॄष्यति सन्माने नापमाने च कुप्यति।
न क्रुद्ध: परूषं ब्रूयात् स वै साधूत्तम: स्मॄत:॥
जो सम्मान करने पर हर्षित न हों और अपमान करने पर
क्रोध न
करें, क्रोधित होने पर कठोर वचन न बोलें,
उनको ही सज्जनों
में श्रेष्ठ कहा गया है॥
Those, who do not become happy by honor and do not
get angry
by dishonor, do not use harsh words,
even in anger, are said to be greatest
among saints.
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