Tuesday, 5 September 2017

ऊगत जाही किरन सों, अथवत ताही कांति










ऊगत जाही किरन सों, अथवत ताही कांति।
त्यों रहीम सुख-दुःख सबै, बढ़त एक ही भाँति॥
रहीम

सूर्य जिस ओज और उत्साह से उदय होता है, उसी चमक और दीप्ति के साथ अस्त होता है। ऐसे ही धीर-गंभीर और विवेकी पुरुष भी सुख-दुःख, लाभ-हानि, मान-अपमान आदि सभी स्थितियों में सदैव सम रहते हैंअर्थात् विचलित नहीं होते।

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