Sunday, 6 August 2017

दुःख में सुमिरन सब करै, सुख में करै न कोय



दुःख में सुमिरन सब करै, सुख में करै न कोय।
जो सुख में सुमिरन करै, तो दुःख काहे को होय॥
कबीर

प्रभु को दुःख पड़ने पर ही याद किया जाता है। सुख में सब मोह-माया में डूबे रहते हैं। यदि सुख में भी ईश्वर को याद किया जाए तो दुःख निकट आएँ ही नहीं। इसलिए सुख-दुःख में ईश्वर को समान रूप से याद करना चाहिए।

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