Tuesday, 22 August 2017

पानी मिलै न आपको, औरन बकसत छीर




पानी मिलै न आपको, औरन बकसत छीर।
आपन मन निहचल नहीं, और बँधावत धीर॥
कबीर

जिसे स्वयं को पीने के लिए पानी नहीं है, वह दूसरों को दूध पिलाता है। जिसका अपना मन स्थिर नहीं है, वह दूसरों को धैर्य रखने की प्रेरणा देता है। अर्थात् पहले स्वयं ज्ञानी बनें, फिर दूसरों को उपदेश दें।

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