कस्यैकान्तं सुखम् उपनतं, दु:खम् एकान्ततो वा।
नीचैर् गच्छति उपरि च, दशा चक्रनेमिक्रमेण॥
किसने केवल सुख ही देखा है और किसने केवल दुःख ही देखा है,
जीवन की दशा एक चलते पहिये के घेरे की तरह है जो क्रम से
ऊपर और नीचे जाता
रहता है॥
Who has only experienced constant happiness or constant
sorrows? Situations in life are similar to a point on
the moving wheel which
goes up and down regularly.
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