बड़े बड़ाई नहिं तजैं, लघु रहीम इतराइ।
राइ करौंदा होत है, कटहर होत न राइ॥
रहीम
बड़े, धीर-गंभीर और विवेकी पुरुष अपना बड़प्पन व गंभीरता कभी नहीं त्यागते; लेकिन निम्न कोटि के लोग अकसर घमंड में चूर रहते हैं। करौंदा अपने विकास के आरंभिक दौर में राई के बराबर होता है, लेकिन कटहल कभी राई के समान छोटा नहीं होता।
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